फलों में अंगूर सर्वोत्तम माना जाता है। बहुत से ऐसे रोग हैं जिसमें रोगी को कोई पदार्थ नहीं दिया जाता है। उसमें भी अंगूर दिया जा सकता है। यह आंखों के लिए हितकर होता है। अंगूर रक्त साफ करने वाला , रक्त बढ़ाने वाला तथा तरावट देने वाला फल है। अंगूर में जल , शर्करा , सोडियम , पोटेशियम , सिट्रिक एसिड , फ्लोराइड , पोटेशियम सल्फेट , मैगनेशियम और लौह तत्व भरपूर मात्रा में होते हैं । अंगूर हृदय की दुर्बलता को दूर करने के लिए बहुत गुणकारी है। हृदय रोगी को नियमित अंगूर खाने चाहिए। अंगूर के सेवन से फेफड़ों में जमा कफ निकल जाता है, इससे खांसी में भी आराम आता है। अंगूर जी मिचलाना, घबराहट, चक्कर आने वाली बीमारियों में भी लाभदायक है । अंगूर का गूदा ग्लूकोज व शर्करा युक्त होता है। विटामिन ए पर्याप्त मात्रा में होने से अंगूर का सेवन भूख बढाता है, पाचन शक्ति ठीक रखता है, आंखों, बालों एवं त्वचा को चमकदार बनाता है। अंगूर के सेवन से हड्डियां मजबूत होती हैं । भोजन के आधा घंटे बाद अंगूर का रस पीने से खून बढता है और कुछ ही दिनों में पेट फूलना, बदहजमी आदि बीमारियों से छुटकारा मिलता है । रोगों को अंगूर दूर रखता है। अंगूर फोडे-फुन्सियों एवं मुहासों को सुखाने में सहायता करता है। एनीमिया में अंगूर से बढकर कोई दवा नहीं है। उल्टी आने व जी मिचलाते पर अंगूर पर थोडा नमक व काली मिर्च डालकर सेवन करें। पेट की गर्मी शांत करने के लिए 20-25 अंगूर रात को पानी में भिगों दे तथा सुबह मसल कर निचोडें तथा इस रस में थोडी शक्कर मिलाकर पीना चाहिए।
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